तुम होती तो जीवन कैसा होता
तुम होती तो जीवन कैसा होता…
तुम मेरा वो चाँद बनती,
जो मुझे अंधरों में रोशनी दिखाता
मैं ठंड में ठिठुरता या तपती गर्मी में झुलसता
तो तुम्हारी बाहें मुझे सदियों तक राहत देती ।
मैं कभी गिरता, टूटता या बिखरता
तो तुम मुझे थामती, समेटती और फिर से तरासती
और मुझे समझाती कि हालात कैसे भी हों
उनसे लड़ा जा सकता है
अभी और आगे बढ़ा जा सकता है ।
तुम्हारी आँखों में खुद को झांकता
जिनमें नजर आता मुझे मेरा ही अक्श
फिर क्या फर्क पड़ता कि दुनिया मुझे बुरा कहती है
या लोग ताने देते हैं ।
वक्त की पगडण्डी पर चलते चलते एक ऐसा पड़ाव आता
जब जिंदगी की शाम ढलने लगती
उम्मीदों की रेत हाँथ से निकलने लगती
तब एक सवाल उठता
बस यही एकलौता सवाल
तुम होती तो जीवन कैसा होता ।
✍️….. अमन सिंह गार्जन