वो तमाम लड़कियाँ
मेरे हिस्से में आईं वो तमाम लड़कियां,
जिन्होंने मेरे दिल को परीखाना बनाया ।
वो लड़कियां जो मेरे साथ
मोहब्बत को हैरतजदा समझती थीं
अपनी नादानियों और खामियों को भी नूर-ए-शबाब की
अदा समझती थीं ।
जिन्होंने मेरी खातिर समाज की तल्खियां झेलीं
देवताओं के मानिंद पूजा मुझको
मेरी गैर-मौजूदगी से उकतायी हुई
गलियों और गुलजारों में खोजा मुझको ।
जिन्होंने मेरे साथ एक मुक्कमल जहां चाहा
पर मुझे यकीन था अपनी बदकिस्मती पर…
मुझे मालूम था मेरी किस्मत जहाजरानी के कारखानों में नहीं बनी
फिर भी मैंने उनके साथ समन्दर के फासले तय किए ।
मैंने एक भरम में रखा उनको जिनके साथ चलकर मैंने आसमान छुआ,
एक सच ये कि मैंने सबसे वफादारी की
एक सच ये कि मैं आज तक किसी का नहीं हुआ ।
✍️….. अमन सिंह गार्जन