मन फिर से बड़ा उदास है

तन्हाई का शोर है जाने किसकी आस है

भीगी हैं पलकें सारी मन फिर से बड़ा उदास है।

तन्हाई का शोर है जाने किसकी आस है।

 

जीवन कितना टूटा है सपने कितने बिखरे हैं

रातें कितनी तड़पी हैं सावन कितने गुजरे हैं

कितने अरसे जतन किए एक चेहरे को पाने में

कितना थोड़ा वक्त लगा तुमको मुझे भुलाने में।

जाने किसकी गली में भटका हॅू किसके दिल में वास है

भीगी हैं पलकें सारी मन फिर से बड़ा उदास है।

 

ऊंचा उड़ने की खवाहिश है पर एक लाचार परिंदा हॅू

किसकी खातिर ये हाल हुआ अब किसकी खातिर जिंदा हॅू

मैं बंजर सा बन बैठा कोई बीज नहीं बोता मुझमें

मैं लेटा हॅू मौत की शैय्या पे पर तू नहीं सोता मुझमें ।

ये किसकी मुझको तलब लगी ये किसकी मुझको प्यास है

भीगी हैं पलकें सारी मन फिर से बड़ा उदास है।

 

हर दिन सूरज की किरणें शबनम की बूंदें हरती हैं

हर रोज नया वादा करतीं फिर वादे से हर रोज मुकरती हैं

दरिया ने तूफां के डर से अपनी धारा को मोड़ लिया

मैं इश्क रफू करता कैसे जब तुमने धागा ही तोड़ दिया।

वो कौन जो मुझसे दूर गया वो कौन जो इतना पास है

भीगी हैं पलकें सारी मन फिर से बड़ा उदास है।

 

मोहब्बत से बैर मिटाकर सब अब किसका नाम लेता होगा

अब जाने किस आंगन में वो चांद रोशनी देता होगा

मैं खुद को मिटा के आया हॅू उल्फत की उन राहों में

बस इतनी सी एक ख्वाहिश है मेरी सांस रूके तेरी बाहों में ।

वो कौन जो अब तक आम बना वो कौन जो अब भी खास है

भीगी हैं पलकें सारी मन फिर से बड़ा उदास है।

तन्हाई का शोर है जाने किसकी आस है।

 

✍️….. अमन सिंह गार्जन