तुम्हें फिर याद आएगा
हर एक गुजरा हुआ मंजर तुम्हें फिर याद आएगा
जनवरी में हर दिसम्बर तुम्हें फिर याद आएगा।
ये राही तुमसे भी पहले अपनी मंजिल पे जा पहुंचे
कहीं बैठे थे तुम थककर तुम्हें फिर याद आएगा।
फासले नफरतों के बढ़ गए दुनिया में जो तुमसे
तुम्हीं ने मारे थे पत्थर तुम्हें फिर याद आएगा।
कभी परदेश में जाकर सुकूं और चैन ढूंढोगे
तो अपने गांव का वो घर तुम्हें फिर याद आएगा।
ये दुनिया जब तुम्हें अपना बना कर छोड़ जाएगी
तब एक मां-बाप का ही सर तुम्हें फिर याद आएगा।
हमारी शोहरतें तुम जब कभी खबरों में देखोगी
कभी मरता था मैं तुमपर तुम्हें फिर याद आएगा।
✍️….. अमन सिंह गार्जन