1.

झोंका हूँ एक हवा का, निर्बद्ध चल पड़ा हूँ 

हर मुश्किलों के आगे, बेखौफ मैं खड़ा हूँ 

तो क्या हुआ मैं हारा, ईमान से लड़ा हूँ 

षड्यन्त्र से मिली जो, उस जीत से बड़ा हूँ !

2.

लड़ना पड़ेगा तुमको, तूफानों के कहर से 

ना बैठना अचेतन, नाकामियों के डर से 

है जीत हर कदम पर, एक पाँव तो बढ़ाओ 

हारा वही मुसाफिर, निकला नहीं जो घर से !

3.

तुम अश्म के प्रभंजन, टकराना जिस अचल से 

संघात की कसक में, हिल जाए अपने तल से 

जीवन की जंग में तुम, लड़ना सदा ही निश्छल 

हों लाख बाजुएँ पर, चलना स्वयं के बल से !

4.

इच्छाएं सब प्रबल हों, निर्णय भी नेक लो तुम 

उम्मीदों की अगन में, हर मात सेंक लो तुम 

गर ढूंढते हो उसको, जो जिंदगी बदल दे 

तो आइना उठाओ, और खुद को देख लो तुम !

5.

उठती हुई लहर में, कश्ती का है तराना 

पतवार के सहारे, है उसको पार जाना 

तेरी डूबती तरणि को, कोई खुदा न खेवे 

तू खुद में है फरिश्ता, तुझे खुद ही है बचाना !

6.

मैं जीतने को निकला, ख्वाबों के सारे अम्बर 

इस जग ने शूल फेंके, मेरे हर कदम-कदम पर 

वो लोग रो रहे हैं, जब मैंने पाई मंजिल 

जो लोग हंस रहे थे, उस वक्त मेरे गम पर !

7.

मकसद अगर बड़ा हो, है मुश्किलों का होना 

पर मुश्किलों के चलते, मकसद कभी न खोना 

हर मोड़ पर बिछे हों, गर मखमली से बिस्तर 

जब तक मिले न मंजिल, तब तक कभी न सोना !

8.

इस भीड़ से निकलकर, खुद की तलाश करना 

हों शख्सियत के चर्चे, कुछ इतना खास करना 

जेहन में है जहाँ के, इच्छाओं की गुलामी 

मन बावरा है इसकी, हर चाल से सम्भलना !

9.

घर से निकल पड़े हो, एक ध्येय मन में रखकर 

तुम इतना ध्यान रखना, जब डगमगाना पथ पर 

जिन आँखों में दिखाकर, हो आये ख्वाब ऊँचे 

कहीं ख्वाब बह न जाएं, उनके आंसुओं में घुलकर !

10.

काँटों के इस शहर में, एक फूल है खिलाना 

मिट जाएगा अँधेरा, एक दीप है जलाना 

अम्बर को चूमती जो, झूठी इमारते हैं 

सच्चे महल वही हैं, जहा खुशियों का खजाना !