अब ईश्वर से तुम्हें नहीं माँगूगा
सब मोड़ लिए रस्ते हमने अब तेरी ओर नहीं भागूंगा,
अब ईश्वर से तुम्हें नहीं मांगूगा ।
जो तुम पर थे अधिकार मेरे उन सब अधिकारों पे वार मिला
जिस दिल में था मैं शहंशाह उस दिल से मुझको धिक्कार मिला
दो हिस्सों में बांट दिया तुमने यौवन की शोखी को
मुझको हिस्से में जिस्म मिला उसको हिस्से में प्यार मिला
जो रेखाएं तुमने खींची हैं अब उनको कभी नहीं लाघूंघा
अब ईश्वर से तुम्हें नहीं मांगूगा ।
तुम संग रहती तुम संग चलती मैं सब कुछ हासिल कर लाता
मैं खुद खिलता और साथ तुम्हारे जीवन को भी महकाता
पर तुमने शायद जीवन में सब कुछ आसानी से चाहा था
कुछ खिले-खिलाये फूल मिले तुमने जोड़ लिया उनसे नाता
तुमने मुझको बंधनमुक्त किया अब मैं भी तुम्हें नहीं बांधूगा
अब ईश्वर से तुम्हें नहीं मांगूगा ।
तुमने जितनी आसानी से दो-दो किरदार निभाये थे
तुम क्या जानो सब सच तेरे मेरी जान पे बनकर आये थे
उस रोज तूफां ने कहर किया बादल भी देर तलक बरसे
हमने जब इस कायनात को किस्से सब तेरे सुनाये थे
अब निकल के अश्कों की जद से कुछ सपनों की खातिर भी जागूंगा
अब ईश्वर से तुम्हें नहीं मांगूगा ।
✍️….. अमन सिंह गार्जन